mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Thursday, December 27, 2012
मुझको अपनी नज़र ऐ ख़ुदा चाहिए,
कुछ नहीं और इसके सिवा चाहिए।
एक दिन तुझसे मिलने ज़रूर आऊँगा,
ज़िन्दगी, मुझको तेरा पता चाहिए।
-बशीर बद्र
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