Sunday, January 6, 2013

जो शख्स़ भी तहज़ीबे-कुहन छोड़ रहा है,
वो अपने बुज़ुर्गों का चलन छोड़ रहा है।

(तहज़ीबे-कुहन = पुरानी संस्कृति)

अल्लाह निगहबान! मिरा लाडला बेटा,
'डॉलर' के लिये अपना वतन छोड़ रहा है।

शायद कि वो कांधा भी तुझे देने न पहुंचे,
तू जिन के लिये अपना ये धन छोड़ रहा है।

ये तर्क की है कौन सी मंज़िल या रब,
दुनिया की हर इक चीज़ को मन छोड़ रहा है।

(तर्क =  छोड़ने की क्रिया, परित्याग)

उरियानी का वो दौर मआज़-अल्लाह है जारी,
मुर्दा भी यहां अपना कफ़न छोड़ रहा है।

[(उरियानी = नंगापन, नग्नता), (मआज़-अल्लाह = ईश्वर रक्षा करे)]

-राजेन्द्र नाथ ‘रहबर’

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