सबकी सुनना, अपनी करना
प्रेम नगर से जब भी गुजरना
अनगिन बूंदों में कुछ को ही
आता है फूलों पे ठहरना
बरसों याद रक्खें ये मौजें
दरिया से यूँ पार उतरना
फूलों का अंदाज सिमटना
खुशबू का अंदाज बिखरना
अपनी मंज़िल ध्यान में रखकर
दुनियाँ की राहों से गुजरना
-हस्तीमल 'हस्ती'
प्रेम नगर से जब भी गुजरना
अनगिन बूंदों में कुछ को ही
आता है फूलों पे ठहरना
बरसों याद रक्खें ये मौजें
दरिया से यूँ पार उतरना
फूलों का अंदाज सिमटना
खुशबू का अंदाज बिखरना
अपनी मंज़िल ध्यान में रखकर
दुनियाँ की राहों से गुजरना
-हस्तीमल 'हस्ती'
No comments:
Post a Comment