तोहफ़ा समझ के झोली में डाली नहीं गयी,
आज़ादी एक दुआ थी जो खाली नहीं गयी |
बलिदान तो अनमोल थे क़ीमत चुकाते क्या,
हमसे तो विरासत भी संभाली नहीं गयी |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
आज़ादी एक दुआ थी जो खाली नहीं गयी |
बलिदान तो अनमोल थे क़ीमत चुकाते क्या,
हमसे तो विरासत भी संभाली नहीं गयी |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
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