Tuesday, August 20, 2013

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे
हमको फ़रियाद करनी आती है
आप सुनते नहीं तो क्या कीजे

रंज उठाने से भी ख़ुशी होगी
पहले दिल दर्द आशना कीजे
मौत आतीं नहीं कहीं, ग़ालिब
कब तक अफ़सोस जीस्त का कीजे

[(रंज = दुःख), (आशना = मित्र, दोस्त, परिचित), (जीस्त = जीवन)]

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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