Sunday, August 11, 2013

उससे मिल आये हो लगा कुछ कुछ
आज ख़ुद से हो तुम जुदा कुछ कुछ

दिल किसी का दुखा दिया मैंने
ज़िन्दगी मुझसे है खफ़ा कुछ कुछ

मेरी फ़ितरत में सच रहा शामिल
अपना दुश्मन ही मैं रहा कुछ कुछ

आग पी कर भी रोशनी देना
माँ के जैसा है ये दिया कुछ कुछ

उलझे धागों से हमने समझा है
ज़िन्दगानी का फ़लसफ़ा कुछ कुछ

-हस्तीमल 'हस्ती'

1 comment:

  1. जोशी जी
    आप हस्तीजी के प्रशंसक है
    हम आपके

    ReplyDelete