उससे मिल आये हो लगा कुछ कुछ
आज ख़ुद से हो तुम जुदा कुछ कुछ
दिल किसी का दुखा दिया मैंने
ज़िन्दगी मुझसे है खफ़ा कुछ कुछ
मेरी फ़ितरत में सच रहा शामिल
अपना दुश्मन ही मैं रहा कुछ कुछ
आग पी कर भी रोशनी देना
माँ के जैसा है ये दिया कुछ कुछ
उलझे धागों से हमने समझा है
ज़िन्दगानी का फ़लसफ़ा कुछ कुछ
-हस्तीमल 'हस्ती'
आज ख़ुद से हो तुम जुदा कुछ कुछ
दिल किसी का दुखा दिया मैंने
ज़िन्दगी मुझसे है खफ़ा कुछ कुछ
मेरी फ़ितरत में सच रहा शामिल
अपना दुश्मन ही मैं रहा कुछ कुछ
आग पी कर भी रोशनी देना
माँ के जैसा है ये दिया कुछ कुछ
उलझे धागों से हमने समझा है
ज़िन्दगानी का फ़लसफ़ा कुछ कुछ
-हस्तीमल 'हस्ती'
जोशी जी
ReplyDeleteआप हस्तीजी के प्रशंसक है
हम आपके