Thursday, November 13, 2014

हाथ को हाथ नहीं सूझे वो तारीक़ी थी
आ गए हाथ में क्या जाने सितारे कैसे

-जावेद अख़्तर

(तारीक़ी = अँधेरा, अँधकार)

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