Saturday, November 8, 2014

गुंचे तेरे अंजाम पे जी हिलता है
बस एक तबस्सुम के लिए खिलता है
गुंचे ने कहा कि इस जहाँ में बाबा
ये एक तबस्सुम भी किसे मिलता है ?
-जोश मलीहाबादी

(गुंचा = कली), (तबस्सुम = मुस्कराहट)


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