तिशनगी जिसकी सराबों पे भरोसा न करे
घर में बैठा रहे सहराओं में जाया न करे
(तिशनगी = प्यास), (सराबों = मृगतृष्णाओं), (सहराओं = रेगिस्तानों)
यूँ मेरे माज़ी के ज़ख़्मों को कुरेदा न करे
भूल बैठा है तो फिर याद भी आया न करे
(माज़ी = अतीत्, भूतकाल)
दिल से जाना है ख़ुशी को तो चली ही जाये
रोज़ घर छोड़ के जाने का तमाशा न करे
ज़िन्दगी बख़्शेगी मर जाने के बेहतर मौक़े
उससे कहिए अभी मरने का इरादा न करे
खुल के हंसता भी नहीं टूट के रोता भी नहीं
दिल वो काहिल जो कोई काम भी पूरा न करे
चाह जीने की नहीं हौसला मरने का नहीं
हाल ऐसा भी ख़ुदा और किसी का न करे
इतनी सी बात पे वो रूठ गया है फिर से
मैंने बस इतना कहा था कि वो रूठा न करे
दिल को समझाये कोई चार ही दिन की तो है बात
रंज जीने का अब इतना भी ज़्यादा न करे
- राजेश रेड्डी
घर में बैठा रहे सहराओं में जाया न करे
(तिशनगी = प्यास), (सराबों = मृगतृष्णाओं), (सहराओं = रेगिस्तानों)
यूँ मेरे माज़ी के ज़ख़्मों को कुरेदा न करे
भूल बैठा है तो फिर याद भी आया न करे
(माज़ी = अतीत्, भूतकाल)
दिल से जाना है ख़ुशी को तो चली ही जाये
रोज़ घर छोड़ के जाने का तमाशा न करे
ज़िन्दगी बख़्शेगी मर जाने के बेहतर मौक़े
उससे कहिए अभी मरने का इरादा न करे
खुल के हंसता भी नहीं टूट के रोता भी नहीं
दिल वो काहिल जो कोई काम भी पूरा न करे
चाह जीने की नहीं हौसला मरने का नहीं
हाल ऐसा भी ख़ुदा और किसी का न करे
इतनी सी बात पे वो रूठ गया है फिर से
मैंने बस इतना कहा था कि वो रूठा न करे
दिल को समझाये कोई चार ही दिन की तो है बात
रंज जीने का अब इतना भी ज़्यादा न करे
- राजेश रेड्डी
No comments:
Post a Comment