Wednesday, November 21, 2012

इस राज़ को क्या जानें साहिल के तमाशाई

इस राज़ को क्या जानें साहिल के तमाशाई,
हम डूब के समझे हैं दरिया तेरी गहराई।

(साहिल = किनारा)

जाग ऐ मेरे हमसाया ख़्वाबों के तसलसुल से,
दीवार से आँगन में अब धूप उतर आई।

[(हमसाया = पड़ोसी), (तसलसुल = निरंतरता)]

चलते हुए बादल के साए के तअक्कुब में,
ये तशनालबी मुझको सहराओं में ले आई।

[(साए = परछाई), (तअक्कुब = पीछा करना), (तशनालबी = प्यास), (सहराओं = रेगिस्तानों)]

ये जब्र भी देखा है तारीख़  की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।

[(जब्र = ज़ुल्म), (तारीख़ = इतिहास)]

क्या सानेहा याद आया 'रज़्मी' की तबाही का,
क्यों आपकी नाज़ुक सी आँखों में नमी आई।

(सानेहा = आपत्ति, मुसीबत, दुर्घटना)

-मुज़फ़्फ़र रज़्मी

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