Sunday, November 25, 2012

हम सायाए महताब में पाले भी गए हैं,
और कितनी बहारों से निकाले भी गए हैं।

(सायाए महताब = चन्द्रमा की छाँव)

रहबर ही का अहसान नहीं राहे जुनूँ पर,
कुछ दूर मेरे पांव के छाले भी गए हैं।

[(रहबर = रास्ता दिखाने वाला, पथप्रदर्शक), (राहे जुनूँ  = दीवानगी का रास्ता)]

-नुशूर वाहिदी

 

No comments:

Post a Comment