क्षमा करो बापू ! तुम हमको,
वचन भंग के हम अपराधी ।
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी ।
जयप्रकाशजी ! रखो भरोसा,
टूटे सपनो को जोड़ेंगे ।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अंधकार के गढ़ तोड़ेंगे ।
-अटल विहारी वाजपेयी
वचन भंग के हम अपराधी ।
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी ।
जयप्रकाशजी ! रखो भरोसा,
टूटे सपनो को जोड़ेंगे ।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अंधकार के गढ़ तोड़ेंगे ।
-अटल विहारी वाजपेयी
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