mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Monday, February 25, 2013
मिलते हैं इस अदा से कि गोया ख़फ़ा नहीं,
क्या आपकी निगाह से हम आशना नहीं ।
-हसरत मोहानी
(आशना = परिचित)
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