Wednesday, February 6, 2013

सब से जीती भी रहे, सब की चहेती भी रहे,
ज़िन्दगी, ऐसे तुझे कौन गुज़रने देगा ।

दिल को समझाओ कि बेकार परेशां है 'वसीम',
अपनी मनमानी उसे कोई न करने देगा ।

-वसीम बरेलवी

No comments:

Post a Comment