आमाल से मैं अपने बहुत बेख़बर चला,
आया था आह किसलिये और क्या मैं कर चला ।
-मिर्ज़ा रफ़ी सौदा
(आमाल = कर्म, आचरण)
'सौदा' हज़ार हैफ़ कि आकर जहाँ में हम,
क्या कर चले और आए थे किस काम के लिए ।
-मिर्ज़ा रफ़ी सौदा
(हैफ़ = अफ़सोस)
आया था आह किसलिये और क्या मैं कर चला ।
-मिर्ज़ा रफ़ी सौदा
(आमाल = कर्म, आचरण)
'सौदा' हज़ार हैफ़ कि आकर जहाँ में हम,
क्या कर चले और आए थे किस काम के लिए ।
-मिर्ज़ा रफ़ी सौदा
(हैफ़ = अफ़सोस)
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