बेजुस्तजू मिलेगा न ऐ दिल, सुराग़-ए-दोस्त,
तू कुछ तो क़स्द कर, तेरी हिम्मत को क्या हुआ।
-दाग़
[(बेजुस्तजू = बिना प्रयत्न), (सुराग़-ए-दोस्त = मित्र का पता), (क़स्द = प्रयत्न)]
तू कुछ तो क़स्द कर, तेरी हिम्मत को क्या हुआ।
-दाग़
[(बेजुस्तजू = बिना प्रयत्न), (सुराग़-ए-दोस्त = मित्र का पता), (क़स्द = प्रयत्न)]
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