mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Thursday, March 14, 2013
कीमत फ़क़त बशर की गिरी है वगरना आज,
हर एक शै का दाम कहीं से कहीं गया।
-जगन्नाथ आज़ाद
(बशर = इंसान)
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