mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, May 14, 2013
ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे,
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है।
-शकेब जलाली
[(अब्र = बादल), (दश्त = जंगल)]
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