कमर बांधे हुए चलने को यां सब यार बैठे हैं, बहुत आगे गए, बाकी जो हैं, तैयार बैठे हैं
न छेड़ ऐ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी! राह लग अपनी, तुझे अठखेलियाँ सूझी हैं, हम बेज़ार बैठे हैं
-इंशा
उधर महफ़िल में वो हैं जिस तरफ अग्यार बैठे हैं, जो हम इस पार बैठे है तो वो उस पार बैठे हैं
ज़रा भी हमने उनको छेड़ा तो गुस्से में वो यह बोले, तुझे अठखेलियाँ सूझी हैं, हम बेज़ार बैठे हैं
-पौपुलर मेरठी
न छेड़ ऐ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी! राह लग अपनी, तुझे अठखेलियाँ सूझी हैं, हम बेज़ार बैठे हैं
-इंशा
उधर महफ़िल में वो हैं जिस तरफ अग्यार बैठे हैं, जो हम इस पार बैठे है तो वो उस पार बैठे हैं
ज़रा भी हमने उनको छेड़ा तो गुस्से में वो यह बोले, तुझे अठखेलियाँ सूझी हैं, हम बेज़ार बैठे हैं
-पौपुलर मेरठी
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