Monday, May 20, 2013

न इंतज़ार, न आहट, न तमन्ना, न उम्मीद
ज़िन्दगी है कि यूं बेहिस हुई जाती है
-मीना कुमारी 'नाज़'

(बेहिस = चेतनाशून्य, सुन्न, मूर्छित)

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