Wednesday, June 5, 2013

फ़ख्र से इस जुर्म का इक़रार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये

इस जहाँ में कोई ग़म ख्वार होना चाहिए
सबके दिल में प्यार ही बस प्यार होना चाहिए

तेज़ चलने के लिए मुझसे ही क्यूं कहते है आप
आप को भी कुछ तो कम रफ़्तार होना चाहिए

ग़मज़दा देखे मुझे और हंस पड़े बेसाख्ता
क्या भला ऐसा किसी का यार होना चाहिए

उफ़ तेरा तिरछी नज़र से मुझे यूँ देखना
तीर नज़रों का जिगर के पार होना चाहिए

खुद परस्ती हर तरफ हैं क्यों 'सिया'
न किसी की राह में दीवार होना चाहिए
-सिया सचदेव

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