Friday, June 14, 2013

ठहरी ठहरी तबियत में रवानी आई,
आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई।

आज फिर नीँद को आँखो से बिछड़ते देखा,
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई।

मुद्दतों बाद चला है मेरा जादू उन पर,
मुद्दतों बाद हमे बात बनानी आई।

मुद्दतों बाद पशेमां हुआ दरिया हमसे,
मुद्दतों बाद हमें प्यास छुपानी आई।

मुद्दतों बाद मय्यसर हुआ माँ का आँचल,
मुद्दतों बाद हमे नीँद सुहानी आई।

इतनी आसानी से मिलती नही फ़न की दौलत,
ढल गयी उम्र तो गज़लो पे जवानी आई।

-इक़बाल अशहर

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