Friday, October 11, 2013

बदल जाते हैं दिल-ए-हालात जब करवट बदलते हैं
मोहब्बत के तसव्वुर भी नए साँचों में ढलते हैं

 (तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)

तबस्सुम जब किसी का रूह में तहलील होता है
तो दिल की बाँसुरी से नित नए नग़मे निकलते हैं

[(तबस्सुम = मुस्कराहट), (तहलील = स्तुतिगान)

मोहब्बत जिन के दिल की धड़कनों को तेज़ रखती है
वो अक्सर वक़्त की रफ़्तार से आगे भी चलते हैं

उजाले के पुजारी मुज़्महिल क्यूँ हैं अँधेरे से
के ये तारे निगलते हैं तो सूरज भी उगलते हैं

(मुज़्महिल = बहुत थक हुआ, शिथिल, दुर्बल)]

इन्ही हैरत-ज़दा आँखों से देखे हैं वो आँसू भी
जो अक्सर धूप में मेहनत की पेशानी से ढलते हैं

मोहब्बत तो तलब की राह में इक ऐसी ठोकर है
के जिस से ज़िंदगी की रेत में ज़मज़म उबलते हैं

(ज़मज़म = मक्के के पास का एक कुआँ जिसका पानी पवित्र माना जाता है)

ग़ुबार-ए-कारवाँ हैं वो न पूछो इज़्तिराब उन का
कभी आगे भी चलते हैं कभी पीछे भी चलते हैं

(इज़्तिराब = घबराहट, बेचैनी)

दिलों के नाख़ुदा उठ कर सँभालें कश्तियाँ अपनी
बहुत से ऐसे तूफ़ाँ 'मज़हरी' के दिल में पलते हैं

(नाख़ुदा = मल्लाह, नाविक)

-जमील मज़हरी

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