Saturday, December 7, 2013

हर इक आग़ाज़ का अंजाम तय है
सहर कोई हो उसकी शाम तय है

हिरन सोने का चाहेगी जो सीता
बिछड़ जाएँगे उस से राम तय है
-राजेश रेड्डी

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