mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Saturday, December 7, 2013
हर इक आग़ाज़ का अंजाम तय है
सहर कोई हो उसकी शाम तय है
हिरन सोने का चाहेगी जो सीता
बिछड़ जाएँगे उस से राम तय है
-राजेश रेड्डी
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