Thursday, May 1, 2014

क़दम मिलाकर चलना होगा

बाधाएँ आती हैं आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
    पावों के नीचे अंगारे,
    सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों से हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
    क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रुदन में, तूफ़ानों में,
अमर असंख्यक बलिदानों में,
    उद्द्यानों में, वीरानों में,
    अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
    क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कछार में, बीच धार में,
    घोर घृणा में, पूत प्यार में,
    क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को दलना होगा।
    क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन, कैसा इति अथ,
    सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
    असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।
    क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
    नीरवता से मुखरित मधुबन,
    परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
    क़दम मिलाकर चलना होगा।

-अटल विहारी वाजपेयी




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