दिल भी वो है, धड़कन भी वो
चेहरा भी वो, दरपन भी वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन का दर्शन भी वो
आज़ादी की परिभाषा भी
जनम-जनम का बंधन भी वो
बिंदी की ख़ामोशी भी है
खन-खन करता कंगन भी वो
प्रश्नों का हल भी लगता है
और जटिल-सी उलझन भी वो
-विज्ञान व्रत
चेहरा भी वो, दरपन भी वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन का दर्शन भी वो
आज़ादी की परिभाषा भी
जनम-जनम का बंधन भी वो
बिंदी की ख़ामोशी भी है
खन-खन करता कंगन भी वो
प्रश्नों का हल भी लगता है
और जटिल-सी उलझन भी वो
-विज्ञान व्रत
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