Friday, June 6, 2014

हमारी दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है
हम अकबर हैं हमारे दिल में जोधाबाई रहती है

किसी का पूछना कब तक हमारी राह देखोगे
हमारा फ़ैसला जब तक भी ये बीनाई रहती है

(बीनाई = आँखों की रौशनी, दृष्टि)

मेरी सोहबत में भेजो ताकि इसका डर निकल जाए
बहुत सहमी हुए दरबार में सच्चाई रहती है

(सोहबत = संगति)

बस इक दिन फूट कर रोया था मैं तेरी मुहब्बत में
मगर आवाज़ मेरी आज तक भर्राई रहती है

बचो उस शोख़ की आँखों से वरना डूब जाओगे
समन्दर के किनारे भी बहुत गहराई रहती है

गिले-शिकवे ज़रूरी हैं अगर सच्ची मुहब्बत है
जहाँ पानी बहुत गहरा हो थोड़ी काई रहती है

ख़ुदा महफ़ूज़ रक्खे मुल्क को गन्दी सियासत से
शराबी देवरों के बीच में भौजाई रहती है

(महफ़ूज़ = सुरक्षित)

-मुनव्वर राना

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