Wednesday, July 30, 2014

हँस के बोला करो बुलाया करो
आप का घर है आया जाया करो

मुस्कुराहट है हुस्न का ज़ेवर
रूप बढ़ता है मुस्कुराया करो

हदसे बढ़कर हसीन लगते हो
झूठी क़स्में ज़रूर खाया करो

हुक्म करना भी एक सख़ावत है
हम को ख़िदमत कोई बताया करो

बात करना भी बादशाहत है
बात करना न भूल जाया करो

ता के दुनिय की दिलकशी न घटे
नित नये पैरहन में आया करो

कितने सादा मिज़ाज हो तुम 'अदम'
उस गली में बहुत न जाया करो

-अब्दुल हमीद 'अदम'


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