Sunday, October 12, 2014

किन नींदों अब तू सोती है  ऐ चश्म-ए-गिरया-नाक
मिश़गाँ तो खोल शहर को सैलाब ले गया
-मीर तक़ी मीर

नींदों = गहरी नींद
चश्म-ए-गिरया-नाक = रोने के बाद आँखों की सुंदरता
मिश़गाँ = आँखों की पलक 

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