नमक भर कर मेरे ज़ख्मों में तुम क्या मुस्कुराते हो
मेरे ज़ख्मों को देखो मुस्कुराना इसको कहते हैं
ज़माने से अदावत का सबब थी दोस्ती जिनकी
अब उनको दुश्मनी है हमसे, दुनिया इसको कहते हैं
(अदावत = बैर, दुश्मनी), (सबब = कारण)
-बेख़ुद देहलवी
मेरे ज़ख्मों को देखो मुस्कुराना इसको कहते हैं
ज़माने से अदावत का सबब थी दोस्ती जिनकी
अब उनको दुश्मनी है हमसे, दुनिया इसको कहते हैं
(अदावत = बैर, दुश्मनी), (सबब = कारण)
-बेख़ुद देहलवी
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