Saturday, November 1, 2014

यहाँ किसी को भी कुछ हस्ब-ए-आरज़ू न मिला
किसी को हम न मिले, और हमको तू न मिला

-जावेद अख़्तर

(हस्ब-ए-आरज़ू = इच्छा के अनुसार)

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