कई आँखों में रहती है कई बांहें बदलती है
मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है
इबादत में न हो गर फ़ायदा तो यूँ भी होता है
अक़ीदत हर नई मन्नत पे दरगाहें बदलती है
(अक़ीदत = श्रद्धा, आस्था, विश्वास)
-शकील आज़मी
मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है
इबादत में न हो गर फ़ायदा तो यूँ भी होता है
अक़ीदत हर नई मन्नत पे दरगाहें बदलती है
(अक़ीदत = श्रद्धा, आस्था, विश्वास)
-शकील आज़मी
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