ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ
बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ
नसीहत कर रही है अक़्ल कब से
कि मैं दीवानगी से दूर हो जाऊँ
न बोलूँ सच तो कैसा आईना मैं
जो बोलूँ सच तो चकनाचूर हो जाऊँ
है मेरे हाथ में जब हाथ तेरा
अजब क्या है जो मग़रूर हो जाऊँ
बहाना कोई तो ऐ ज़िन्दगी दे
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ
सराबों से मुझे सैराब कर दे
नशे में तिश्नगी के चूर हो जाऊँ
(सराबों = मृगतृष्णाओं), (सैराब = भरपूर, भरा हुआ), (तिश्नगी = प्यास)
मिरे अंदर से गर दुनिया निकल जाए
मैं अपने-आप में भरपूर हो जाऊँ
-राजेश रेड्डी
बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ
नसीहत कर रही है अक़्ल कब से
कि मैं दीवानगी से दूर हो जाऊँ
न बोलूँ सच तो कैसा आईना मैं
जो बोलूँ सच तो चकनाचूर हो जाऊँ
है मेरे हाथ में जब हाथ तेरा
अजब क्या है जो मग़रूर हो जाऊँ
बहाना कोई तो ऐ ज़िन्दगी दे
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ
सराबों से मुझे सैराब कर दे
नशे में तिश्नगी के चूर हो जाऊँ
(सराबों = मृगतृष्णाओं), (सैराब = भरपूर, भरा हुआ), (तिश्नगी = प्यास)
मिरे अंदर से गर दुनिया निकल जाए
मैं अपने-आप में भरपूर हो जाऊँ
-राजेश रेड्डी
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