Wednesday, May 6, 2015

बना कर हमसफ़र क्यों रास्ते में छोड़ देता है
किनारे ढूंढती कश्ती को मांझी मोड़ देता है

मुकद्दर भी हमें अब न्याय सच्चा दे नहीं पाता
जिसे दिल में बसाते हैं वही दिल तोड़ देता है

-आर० सी० शर्मा "आरसी"

No comments:

Post a Comment