डाल से बिछुड़े परिंदे आसमाँ मे खो गए
इक हकी़क़त थे जो कल तक, दास्ताँ मे खो गए
जुस्तजू में जिसकी हम आए थे वो कुछ और था
ये जहाँ कुछ और है हम जिस जहाँ मे खो गए
(जुस्तजू = खोज, तलाश)
हसरतें जितनी भी थीं सब आह बनके उड़ गईं
ख़्वाब जितने भी थे सब अश्क-ए-रवाँ मे खो गए
(अश्क-ए-रवाँ = आँसुओं का बहाव)
लेके अपनी-अपनी किस्मत आए थे गुलशन में गुल
कुछ बहारों मे खिले और कुछ ख़िज़ाँ में खो गए
(ख़िज़ाँ = पतझड़)
ज़िंदगी हमने सुना था चार दिन का खेल है
चार दिन अपने तो लेकिन इम्तिहाँ मे खो गए
-राजेश रेड्डी
इक हकी़क़त थे जो कल तक, दास्ताँ मे खो गए
जुस्तजू में जिसकी हम आए थे वो कुछ और था
ये जहाँ कुछ और है हम जिस जहाँ मे खो गए
(जुस्तजू = खोज, तलाश)
हसरतें जितनी भी थीं सब आह बनके उड़ गईं
ख़्वाब जितने भी थे सब अश्क-ए-रवाँ मे खो गए
(अश्क-ए-रवाँ = आँसुओं का बहाव)
लेके अपनी-अपनी किस्मत आए थे गुलशन में गुल
कुछ बहारों मे खिले और कुछ ख़िज़ाँ में खो गए
(ख़िज़ाँ = पतझड़)
ज़िंदगी हमने सुना था चार दिन का खेल है
चार दिन अपने तो लेकिन इम्तिहाँ मे खो गए
-राजेश रेड्डी
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