Wednesday, July 22, 2015

इशरत-ए-क़तरा है, दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

(इशरत-ए-क़तरा = बूंद का ऐश्वर्य), (फ़ना = नष्ट, विलीन)

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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