Tuesday, October 27, 2015

जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है

जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है
मरो तो ऐसे कि जैसे तुम्हारा कुछ भी नहीं |

ये  एक  राज़  के दुनिया न जिसको जान  सकी
यही वो राज़ है जो ज़िंदगी का  हासिल  है,
तुम्हीं  कहो  तुम्हे ये बात कैसे  समझाऊँ
कि ज़िंदगी  की  घुटन ज़िंदगी की कातिल  है,
हर  इक  निगाह  को  कुदरत का  ये इशारा है
जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है ।

जहां में आ के जहां से खिचें-खिचें न रहो
वो  ज़िंदगी  ही  नही  जिसमें  आस  बुझ  जाए,
कोई भी प्यास दबाये से दब नहीं सकती
इसी  से  चैन  मिलेगा  कि प्यास  बुझ  जाए,
ये  कह के मुड़ता  हुआ  ज़िंदगी  का  धारा  है
जियो तो  ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है

ये  आसमां, ये ज़मीं, ये फ़िज़ा, ये नज़्ज़ारे
तरस  रहे  हैं  तुम्हारी मेरी नज़र  के लिए
नज़र चुरा  के हर इक शै को  यूं  न ठुकराओ
कोई  शरीक-ए-सफ़र  ढूँढ़ लो सफ़र के लिए
बहुत  करीब  से  मैंने  तुम्हें  पुकारा  है
जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है ।

-साहिर लुधियानवी



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