हँसते हँसते मेरी आँखें नम कर देते हैं
मुझको यूँ शर्मिंदा मेरे ग़म कर देते हैं
बात पता चलती है जब माँ की बीमारी की
भैया भाभी आना जाना कम कर देते हैं
शबनम को अंगारा कर देते हैं कुछ एहसास
और कभी अंगारों को शबनम कर देते हैं
(शबनम = ओस)
कुछ तो ज़माने की हवा भी बदली है
पूरी कसर कुछ मन के वहम कर देते हैं
हल्की हल्की बातें करके कुछ बेग़ैरत लोग
भारी भारी सा मन का मौसम कर देते हैं
आख़िर किस तहज़ीब पे आ कर ठहर गए हैं हम
अपनों को ही अपने गाली जम कर देते हैं
कोसों दूर चला जाता है साया भी हम से
समझ नहीं पाते क्या ऐसा हम कर देते हैं
-अशोक रावत
मुझको यूँ शर्मिंदा मेरे ग़म कर देते हैं
बात पता चलती है जब माँ की बीमारी की
भैया भाभी आना जाना कम कर देते हैं
शबनम को अंगारा कर देते हैं कुछ एहसास
और कभी अंगारों को शबनम कर देते हैं
(शबनम = ओस)
कुछ तो ज़माने की हवा भी बदली है
पूरी कसर कुछ मन के वहम कर देते हैं
हल्की हल्की बातें करके कुछ बेग़ैरत लोग
भारी भारी सा मन का मौसम कर देते हैं
आख़िर किस तहज़ीब पे आ कर ठहर गए हैं हम
अपनों को ही अपने गाली जम कर देते हैं
कोसों दूर चला जाता है साया भी हम से
समझ नहीं पाते क्या ऐसा हम कर देते हैं
-अशोक रावत
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