mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Thursday, December 17, 2015
ग़ुबार बन के उड़े और फ़लक को चूम लिया
बुलंद यूँ भी तेरे ख़ाक़सार होते रहे
-इब्राहीम अश्क़
(फ़लक = आसमान)
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