Friday, December 25, 2015

कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़न
ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है
-मुज़फ़्फ़र वारसी

(एजाज़-ए-सुख़न = कविता/ शायरी करने का चमत्कार)
 

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