बहार आई तो जैसे एक बार
लौट आए हैं फिर अदम से (अदम = न होना, अभाव, अनास्तित्व)
वो ख़्वाब सारे, शबाब सारे
जो तेरे होंठों पे मर मिटे थे
जो मिट के हर बार फिर जिये थे
निखर गए हैं गुलाब सारे
जो तेरी यादों से मुश्कबू हैं (मुश्कबू = कस्तूरी जैसी सुगंध रखने वाला)
जो तेरे उश्शाक़ का लहू हैं (उश्शाक़ = आशिक़ का बहुवचन)
उबल पड़े हैं अज़ाब सारे (अज़ाब = कष्ट, यातना, पीड़ा, दुःख, तकलीफ)
मलाल-ए-अहवाल-ए-दोस्ताँ भी (दोस्तों के हालात पर दुःख/ पश्चाताप)
ख़ुमार्-ए-आग़ोश-ए-महवशाँ भी (प्रियतम की बाँहों/ अंक/ आगोश का नशा/ उन्माद)
ग़ुबार-ए-ख़ातिर के बाब सारे (ग़ुबार-ए-ख़ातिर = मन की मलिनता, दिल का मैल, मन की भड़ास)
तेरे हमारे सवाल सारे, जवाब सारे (बाब = किताब का अध्याय, परिच्छेद)
बहार आई तो खुल गए हैं
नए सिरे से हिसाब सारे
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
लौट आए हैं फिर अदम से (अदम = न होना, अभाव, अनास्तित्व)
वो ख़्वाब सारे, शबाब सारे
जो तेरे होंठों पे मर मिटे थे
जो मिट के हर बार फिर जिये थे
निखर गए हैं गुलाब सारे
जो तेरी यादों से मुश्कबू हैं (मुश्कबू = कस्तूरी जैसी सुगंध रखने वाला)
जो तेरे उश्शाक़ का लहू हैं (उश्शाक़ = आशिक़ का बहुवचन)
उबल पड़े हैं अज़ाब सारे (अज़ाब = कष्ट, यातना, पीड़ा, दुःख, तकलीफ)
मलाल-ए-अहवाल-ए-दोस्ताँ भी (दोस्तों के हालात पर दुःख/ पश्चाताप)
ख़ुमार्-ए-आग़ोश-ए-महवशाँ भी (प्रियतम की बाँहों/ अंक/ आगोश का नशा/ उन्माद)
ग़ुबार-ए-ख़ातिर के बाब सारे (ग़ुबार-ए-ख़ातिर = मन की मलिनता, दिल का मैल, मन की भड़ास)
तेरे हमारे सवाल सारे, जवाब सारे (बाब = किताब का अध्याय, परिच्छेद)
बहार आई तो खुल गए हैं
नए सिरे से हिसाब सारे
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Tina Sani
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