Wednesday, February 24, 2016

सियाहियों को निगलता हुआ नज़र आया

सियाहियों को निगलता हुआ नज़र आया
कोई चिराग़ तो जलता हुआ नज़र आया

दुखों ने राब्ते मज़बूत कर दिए अपने
तमाम शहर बदलता हुआ नज़र आया

(राब्ते = मेल-जोल, संबंध)

ये प्यास मुझको ज़मीं पर गिराने वाली थी
कि एक चश्मा उबलता हुआ नज़र आया

(चश्मा = पानी का सोता)

वो मेरे साथ भला कितनी दूर जाएगा
जो हर कदम पे सँभलता हुआ नज़र आया

नई हवा से बचूँ कैसे मैं कि शहर मेरा
नए मिज़ाज में ढलता हुआ नज़र आया

तवक़्क़आत ही उठने लगीं ज़माने से
जो एक शख़्स बदलता हुआ नज़र आया

(तवक़्क़आत = उम्मीदें, आशाएं)

शिकस्त दे के मुझे खुश तो था बहुत 'आलम'
मगर वो हाथ भी मलता हुआ नज़र आया।

- आलम खुर्शीद

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