mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Thursday, March 3, 2016
तेरी साजिश में कुछ कमी है अभी
मेरी बस्ती में रौशनी है अभी
चोट खाकर भी मुस्कुराता हूँ
अपना अंदाज़ तो वही है अभी
-हस्तीमल 'हस्ती'
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