Thursday, March 3, 2016

सोचा है के अब कार-ए-मसीहा न करेंगे

सोचा है के अब कार-ए-मसीहा न करेंगे
वो ख़ून भी थूकेगा तो परवा न करेंगे

(कार-ए-मसीहा = मसीहा की तरह काम)

इस बार वो तल्ख़ी है के रूठे भी नहीं हम
अब के वो लड़ाई है के झगड़ा न करेंगे

ऐसा है के सीने में सुलगती हैं ख़राशें
अब साँस भी हम लेंगे तो अच्छा न करेंगे

-जॉन एलिया

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