Wednesday, March 9, 2016

मैं तो निभा रहा हूँ तअल्लुक़ ज़मीं के साथ
खिलना न खिलना ये मेरे काबू में नहीं है

मलबे हैं, तलातुम है, ज़िन्दगी है, नमक है
सागर में ऐसा क्या है जो आँसू में नहीं है

(तअल्लुक़ = सम्बन्ध, लगाव), (तलातुम = तूफ़ान)

-नामालूम

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