mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Monday, October 24, 2016
मुझे गुमान है कि चाहा है बहुत ज़माने ने मुझे
मैं अज़ीज़ तो सब को हूँ, मगर ज़रूरतों की तरह
-नामालूम
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