Friday, December 23, 2016

गर है मुहब्बत तो क़ुबूल कर ले

गर है मुहब्बत तो क़ुबूल कर ले
नज़राना दिल का मक़्बूल कर ले।

(मक़्बूल = कबूल किया हुआ, पसंद होने के लायक )

रख ले भरम मेरी शनासाई का
मुलाक़ात यूं ही फ़ुज़ूल कर ले।

(शनासाई = परिचय, जान-पहचान)

सौदा मेरे दिल का ये गरां नहीं है
ख़रीद ले मुझको तू वसूल कर ले।

(गरां = महंगा)

ये दुनिया नहीं गर तेरे मुताबिक़
है सलाहियत तो माकूल कर ले।

सलाहियत = (क्षमता, सामर्थ्य)

बेसबब यूँही गुज़र न जाए कहीं ये
तकाज़ा जवानी का है भूल कर ले।

परख ले तू सबको यकीं से पहले
खा के फ़रेब अब ये उसूल कर ले।

क्या मिलेगा दिल को पत्थर बना के
है दुनिया चमन इसे फूल कर ले।

नफासत से जीने को उम्र पड़ी है
अभी तो है बचपन इसे धूल कर ले।

-विकास वाहिद


https://www.youtube.com/watch?v=GSoiLrSzO1M


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