Tuesday, March 28, 2017

हर पल ध्यान में बसने वाले लोग फ़साने हो जाते हैं

हर पल ध्यान में बसने वाले लोग फ़साने हो जाते हैं
आँखें बूढ़ी हो जाती हैं ख़्वाब पुराने हो जाते हैं

झोपड़ियों में हर इक तल्ख़ी पैदा होते मिल जाती है
इसीलिए तो वक़्त से पहले तिफ़्ल सयाने हो जाते हैं

(तिफ़्ल = छोटा बच्चा)

मौसमे-इश्क़ की आहट से ही हर इक चीज़ बदल जाती है
रातें पागल कर देती हैं दिन दीवाने हो जाते हैं

दुनिया के इस शोर ने 'अमजद' क्या-क्या हम से छीन लिया
ख़ुद से बात किए भी अब तो कई ज़माने हो जाते हैं

-अमजद इस्लाम अमजद

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