Tuesday, March 28, 2017

शिकवा-ए-इज़्तिराब कौन करे

शिकवा-ए-इज़्तिराब कौन करे
अपनी दुनिया ख़राब कौन करे

(इज़्तिराब = व्याकुलता, बेचैनी, आतुरता), (शिकवा-ए-इज़्तिराब = बेचैनी की शिकायत)

गिन तो लेते हैं उँगलियों पे गुनाह
रहमतों का हिसाब कौन करे

इश्क़ की तल्ख़-कामियों के निसार
ज़िंदगी कामयाब कौन करे

(तल्ख़-कामियों = खराब अनुभव), (निसार = न्यौछावर करना)

हम से मय-कश जो तौबा कर बैठें
फिर ये कार-ए-सवाब कौन करे

(कार-ए-सवाब = पुण्य का काम)

ग़र्क़-ए-जाम-ए-शराब हो के 'शकील'
शग़्ल-ए-जाम-ओ-शराब कौन करे

(ग़र्क़-ए-जाम-ए-शराब = शराब के प्याले में डूबना), (शग़्ल-ए-जाम-ओ-शराब = प्याले और शराब का शौक़)

-शकील बदायुनी

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